भारतीय ज्ञान परम्परा के उन्नयन में अंग्रेजी भाषा भी अनिवार्य है – डॉ. आशिमा श्रवण
हरिद्वार। आज 05/08/2025 केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के निर्देशानुसार श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में दीक्षारम्भ कार्यक्रम के पंचम दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में आधुनिक विषय विभाग की प्रमुख डॉ. आशिमा श्रवण ने Interdisciplinary approach to english and sanskrit विषय पर छात्रों को सम्बोधित किया। अपने उद्बोधन में डॉ. आशिमा श्रवण ने कहा कि संस्कृत के साथ-साथ अंग्रेजी का भी ज्ञान हम सबके लिए आवश्यक है। भारतीय ज्ञान परम्परा के संवर्द्धन तथा पाश्चात्य देशों में इसके प्रचार के लिये अङ्ग्रेजी भाषा का ज्ञान होना अत्यन्त अनिवार्य है। आज वैश्विक शिक्षा प्रणाली में अन्तर्विषयी अध्ययन का महत्त्व निरन्तर बढ़ रहा है। यह दृष्टिकोण विविध विषयों के ज्ञान को समन्वित करके अभ्यार्थियों को अत्यन्त व्यापक, सुसङ्गत तथा गहन समझ प्रदान करता है। अङ्ग्रेजी एवं संस्कृत के अध्ययन में यह दृष्टिकोण अपनाकर केवल भाषा-ज्ञान ही नहीं बल्कि वैश्विक तथा पारम्परिक-ज्ञान की समन्वित समझ भी प्राप्त की जा सकती है। यह केवल विद्यार्थियों के ज्ञानार्जन में ही सहायक नहीं होगा; अपितु एक समन्वित और सुसंस्कृत दृष्टिकोण विकसित करने में भी सहायक सिद्ध होगा। उदाहरण स्वरुप साहित्यिक दृष्टिकोण के रूप में शेक्सपिपर के नाटकों की तुलना कालिदास के नाटकों से करना यह विद्यार्थियों को आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकासित करेगा। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. सुमन्त कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. व्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव ने सभी छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएँ प्रदान की।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. निरञ्जन मिश्र, डॉ. रवीन्द्र कुमार, डॉ. मञ्जु पटेल, डॉ. आलोक कुमार सेमवाल, डॉ. अङ्कुर कुमार आर्य, श्री शिवदेव आर्य, श्री एम. नरेश भट्ट, श्री आदित्य प्रकाश, डॉ. प्रमेश कुमार बिजल्वाण, डॉ. अंकुल कर्णवाल, श्री विवेक शुक्ला, श्री मनोज कुमार गिरि, श्री अतुल मैखुरी, महाविद्यालय के सभी छात्र-छात्राऐँ तथा कर्मचारी उपस्थित रहें।
