संस्कृत व्याकरण सब शास्त्रों की कुञ्जी है – डॉ. रवीन्द्र कुमार

हरिद्वार। आज दिनाङ्क – 04/08/2025 को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के निर्देशानुसार श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में सञ्चाल्यमान दीक्षारम्भ कार्यक्रम के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. रवीन्द्र कुमार ने “व्याकरण की दशा एवं दिशा” विषय पर छात्रों को सम्बोधित किया। डॉ. रवीन्द्र कुमार ने कहा कि संस्कृत का व्याकरण सभी शास्त्रों की कुञ्जी है। किसी भी शास्त्र को समझने के लिए संस्कृत व्याकरण को पढ़ना पड़ेगा। पाणिनीय व्याकरण की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से लेकर आज तक पाणिनि से श्रेष्ठ व्याकरण नहीं है। पाणिनि की अष्टाध्यायी मानव मस्तिष्क की अद्भुत कल्पना है। पाणिनि ने संस्कृत व्याकरण को सूत्रबद्ध कर व्याकरण को सरल व सुगम बनाने का प्रयास किया है। व्याकरण शास्त्र से ही शब्द के वास्तविक अर्थ को जाना जा सकता है। हमारी भाषागत अशुद्धियों की चिकित्सा करने का कार्य व्याकरण करता है। वेद, दर्शन, उपनिषद्, आदि ग्रन्थों के मर्म को यदि समझना है, तो व्याकरण शास्त्र को अवश्य पढ़ना होगा। यदि व्यक्ति व्याकरण नहीं जानता है, तो वह शुद्धरुप से वेदमन्त्रों का उच्चारण, पौरोहित्य कार्य आदि भी नहीं करा सकता है।

ऋषियों ने अपनी मेधाशक्ति का प्रयोग कर जन साधारण के लिए भी शास्त्रों के मर्म को समझने का द्वार खोला है। हमे केवल ऋषियों की पद्धति का अनुसरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि व्याकरण के ज्ञान के बिना संस्कृत का अध्ययन अधूरा है। संस्कृत की रक्षा के लिए उसके व्याकरण को पढ़ना चाहिए। आज संस्कृत भाषा की शुद्धता का वास्तविक कारण उसका व्याकरण शास्त्र है। कार्यक्रम का संयोजन श्री आदित्य प्रकाश सुतार ने किया। अन्त में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. व्रजेन्द्रकुमार सिंहदेव जी ने सभी छात्र छात्राओं सन्मार्ग पर चलने का निर्देश दिया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य डॉ. निरञ्जन मिश्र, डॉ.  मञ्जु पटेल, डॉ. आशिमा श्रवण, डॉ. आलोक सेमवाल, डॉ. अङ्कुर कुमार आर्य, श्री शिवदेव आर्य, डॉ. सुमन्त कुमार सिंह, डॉ. प्रमेश कुमार बिजल्वाण, श्री एम. नरेश भट्ट, श्री विवेक शुक्ला, योग प्रशिक्षक श्री मनोज कुमार गिरि एवं श्री अतुल मैखुरी आदि के साथ-साथ सभी छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

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