संस्कृत शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन है वाग्देवी की आराधना

          हरिद्वार। श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में आज आयोजित व्याख्यान-सत्र में बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी के आचार्य, सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, गुजरात के पूर्व कुलपति एवं संस्कृत भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष प्रो. गोपबन्धु मिश्र का व्याख्यान हुआ। अपने व्याख्यान में प्रो. मिश्र ने कहा कि भारत में लोग परीक्षा अथवा उपाधि प्राप्त करने के लिये ही संस्कृत का अध्ययन नहीं करते है; अपितु वह वाग्देवी की आराधना भी करते हैं; जिसमें वे निःस्वार्थ भाव से संस्कृत का अध्ययन कर प्राचीन संस्कृति की रक्षा करते हैं। प्रो. मिश्र ने कहा कि संस्कृत भाषा ने विश्वबन्धुत्व की भावना का विकास करने का प्रबल कार्य किया है। वैदिक संस्कृति विद्वेष और राग को समाप्त करने का कार्य करती है। संस्कृत भाषा विश्व को भ्रातृत्व और वसुधैव कुटुम्बकम् का सन्देश देती है। प्रो. मिश्र ने महाविद्यालय में सङ्गणक-प्रयोगशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा कम्प्यूटर के लिये अत्यन्त उपादेय है। संस्कृत के छात्रों को कम्प्यूटर का ज्ञान अवश्य करना चाहिये। हमें संस्कृत भाषा को कर्मकाण्ड की भाषा से ऊपर उठाकर वैज्ञानिक भाषा के रूप में स्थापित करना पडेगा। इस अवसर पर “एक पेड माँ के नाम” अभियान के अन्तर्गत महाविद्यालय में वृक्षारोपण कर इस अभियान का शुभारम्भ किया।

          महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. बी. के. सिंहदेव प्रो. मिश्र का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आपका मार्गदर्शन प्राप्त करना हमारे लिये सौभाग्य का अवसर है। कार्यक्रम का सञ्चालन व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र कुमार ने किया।          

इस कार्यक्रम में डॉ. आशिमा श्रवण, डॉ. मञ्जु पटेल, डॉ. दीपक कुमार कोठारी, डॉ. आलोक कुमार सेमवाल, डॉ. अंकुर कुमार आर्य,  श्री शिवदेव आर्य, श्री ज्ञानसिन्धु, श्री आदित्य प्रकाश सुतार, डॉ. प्रमेश कुमार बिजल्वाण, श्री मनोज कुमार, श्री अतुल मैखुरी आदि उपस्थित रहे। 

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